कितना भी चाहो
कितना भी चाहो
कितना भी चाहो असत्य से ,
सत्य को झुठला सकते नहीं ,
परमात्मा को भूल कर तुम ,
परम सुख पा सकते नहीं।
कितना भी तुम चाह लो ,
होनी को टाल सकते नहीं ,
खुद को बदल सकते नहीं,
दुनिया बदलने की सोच रहे ,
हर सांस में जो बात है ,
वह तुम पकड़ सकते नहीं ,
मार सकते हो किसी को ,
पर जिला सकते नहीं।।