STORYMIRROR

Manjul Singh

Abstract

4  

Manjul Singh

Abstract

किस्सागो

किस्सागो

1 min
386


एक आवारा किस्सागो,

सुनाना चाहता था

अपनी क़िस्सागोई

बड़ी बड़ी महफ़िलो में

उसे न भेजा गया था,

एक भी खत, तार

उन महफिलों से


वो ढूँढ़ता 

कुछ उदास तितलियाँ 

और सुनाता अपनी 

क़िस्सागोई 

उन लड़कियों के बारे में,

जो चाहती थी 

तितलियों के पंख से होठ 

किस्सागो एक दिन सुना रहा था 

मशहूर पंजाबी शायर 

शिव कुमार बटालवी की

इक्क कुड़ी जिदा नाम मोहब्बत 

गुम है, गुम है, गुम है..

और उसने तितली को,

लड़की में बदलते देखा!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract