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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

किसी को दुख नही देना चाहिये

किसी को दुख नही देना चाहिये

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किसी को दुःख नही देना

चाहियेहंसकर सब दुःख सहना चाहिये

कोई मारे तुम पर शब्दो के पत्थर,

तुम्हे गुलाब का सुमन होना चाहिये

ये दुनिया बहुत ही अजीबोगरीब है

दुःख देती है उन्हे जो सच्चे पीर है

पर दलदल में कमल उगना चाहिये

किसी को दुःख नही देना चाहिए

जब-जब भी कोई तुमसे बैर करे,

बिना-बात वो जिंदगी जहर करे,

ऐसे लोगो पे रहम नही करना चाहिये

बुराई की ईंट का जवाब सदा ही,

सच्चाई के पत्थर से देना चाहिये

किसी को दुःख नही देना चाहिये

हिंसा भले आप किसी पे मत करो,

पर वक्त-वक्त पे फुंफकारना चाहिये

सीधा होना ये बहुत अच्छी बात है,

पर कोई तुम्हे दबाये ये बुरी बात है,

टेढ़ी उँगली से भी घी निकालना चाहिये

जैसा ज़माना है,

वैसा साखी तुम बनो,

राम नही आज के समय कृष्ण बनो

,बुराई के प्रतीक हर दानव पर,

सत्य का सुदर्शन चलाना चाहिये

किसी को दुःख नही देना चाहिये


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