किसी एक ख़ूबसूरत ने....
किसी एक ख़ूबसूरत ने....
किसी एक खूबसूरत ने मेरा दिल यूँ चुराया है
गिरा कर ज़ुल्फ़ चेहरे पर,रुख़ को गुलशन बनाया है।
हटे न रुख वो नज़रों से,जिसे सपनो में पाया है,
नज़र कुछ भी नहीं आता,वो यूँ नज़रो में छाया है।
किसी एक खूबसूरत ने मेरा दिल यूँ चुराया है।
न मंदिर,न कोई मस्जिद,न गिरजाघर,न गुरूद्वारा
उसे ही रब समझ करके,ये सर सज़दे झुकाया है।
ऐ रब तू माफ कर मुझको,मगर इतना बता फिर भी
तुझे महसूस करता था,उसे सच्चा ही पाया है।
किसी एक खूबसूरत ने मेरा दिल यूँ चुराया है।
वो पनघट पर है जब आती यही दिल गुनगुनाया है-
बहारों फूल बरसाओ,मेरा मेहबूब आया है। किसी एक खूबसूरत ने मेरा दिल यूँ चुराया है।

