किसान कथा
किसान कथा
जो सबकी भूख मिटाता है ,मैं उसको शीश नवाता हूँ
जो सबका अन्नदाता है , मैं उसकी कथा सुनाता हूँ,
पहले बारिश का इंतजार , बीज बोने को वो है तैयार
कब पहली बारिश आएगी ,मन में करता है ये विचार,
जब पहली बारिश आये तो ,खूब प्रसन्न वो होता है
उत्साह उमंग आशाओं से ,खेतो में बीज वो बोता है,
कुछ दिन जो बारिश ना आये ,तो मन में वो घबराये
कुछ दिन जो बारिश ना आई ,तो बीज कैसे उग पाये,
सामान्य वर्षा हो जाये तो ,पौधा ठीक से बढ़ जाता है
जो अतिवृष्टि हो जाये तो ,बीज मिट्टी में सड़ जाता है,
पौधा जो बढ़ भी जाये तो ,उसमे कीड़े है लग जाये
दवाई छिड़के और जतन करे, तब जा फसले लहराये,
लहलहाती फसलों को देख ,मन ही मन हर्षाता है
कुछ धन अब कमाऊँगा ,ऐसा अनुमान लगाता है,
फसल काटने जब लगता, अगर होने लगे जो फुहार
तीन महीनो की मेहनत ,एक दिन में हो जाये बेकार,
सारी मेहनत पूरी किस्मत ,हर दिन भगवान भरोसे है
सारी फसले बर्बाद हुई , अपनी किस्मत को कोसे है,
ये बात खरीब की फसल की है ,रबी की कथा तो बाकी है
कितना कठिन जीवन किसान का,ये उसकी बस झाँकी है,
वर्षा की चिंता भले ना हो ,शीत लहर की पीर तो है
भयावह ठंडी रातो में ,सिंचाई की चिंता सिर तो है,
भीषण ठंडी रातो में हम,दो रजाई औढ के सोते हैं
तब लाखो किसान भाई ,खेतो में जग रहे होते हैं,
इतना करने पर भी फसल का ,मूल्य नहीं मिलने का गम
मूल्य सिर्फ तब मिलता है ,जब उत्पादन ही होता है कम,
किसान के जीवन संघर्षो का, दूजा ना कोई सानी है
कितने उपकार हम पर है ,क्या बात ये हमने मानी है ?
उनका जीवन सुखमय हो, ईश्वर से अर्जी लगाई है
जो सबका अन्नदाता है, उसकी कथा सुनाई है।