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माँ के रसोई की साथी, भाई के शोर में हिस्सेदार घर की चहल पहल इनसे, ये दादा दादी की दुल माँ के रसोई की साथी, भाई के शोर में हिस्सेदार घर की चहल पहल इनसे, ये दादा दा...
तीर्थ भले फिर ना कर पाओ, घर ही चारो धाम है। तीर्थ भले फिर ना कर पाओ, घर ही चारो धाम है।
धर्म की जयकार होवे, नाश हो अधर्म का। धर्म की जयकार होवे, नाश हो अधर्म का।
उनका जीवन सुखमय हो, ईश्वर से अर्जी लगाई है जो सबका अन्नदाता है, उसकी कथा सुनाई है। उनका जीवन सुखमय हो, ईश्वर से अर्जी लगाई है जो सबका अन्नदाता है, उसकी कथा सुना...