भेदभाव क्यों ?
भेदभाव क्यों ?
भेद क्यों रंगो में करता, श्याम खुद है साँवले
सारा जग है पूजा करता, दुःख में सारे नामले
भेद क्यों जाति में करता, क्या तू ना माने राम को ?
झूठे बैर शबरी के खाकर, भेजा अपने धाम को
भेद क्यों वस्त्रो से करता, देख शिव भगवान को
भस्म रमाये बैठे है वे, सृष्टि के कल्याण को
भेद क्यों धन से है करता, देख गरीब विप्र सुदामा
थे निरीह निर्धन फिर भी, कृष्ण ने था हाथ थामा
भेद क्यों नर नारी का है, सीता से बने सीताराम
राधा नाम पहले आता, जब भी बोलो राधेश्याम
भेद सारे मिट जाये बस, एक भेद हो कर्म का
धर्म की जयकार होवे, नाश हो अधर्म का।