किरणें
किरणें
मेरी दहलीज पर
रोज दस्तक देती
सुबह की किरणें
मचलती घर के अंदर आने को
ताक झांक कर पत्तों के पीछे से
सहलाती प्यार से कंधों को
देती उर्जा जीने की
सुकून भरे जीवन की
मुट्ठी में भरकर एहसास अपने
इतराती फिरती हूं बगिया में
जीवन की आपाधापी में
ये पल मनभावन बन जाते
उमंगों से दिल भर जाता
होती फिक्र न दुनिया की
खुद से मिलने चल पड़ती हूं.