STORYMIRROR

DEVSHREE PAREEK

Abstract Romance Tragedy

4  

DEVSHREE PAREEK

Abstract Romance Tragedy

खज़ाना

खज़ाना

1 min
549

गुज़रे हुए वक़्त को, भूलाया नहीं जाता

खोकर भी कभी-कभी, कुछ पाया नहीं जाता…


पलकों तले मोतियों का, एक खज़ाना छुपा रखा था

बेशकीमती चीजों को, खुले हाथों लुटाया नहीं जाता…


नादाँ थे जो रोज, तेरे आने की ज़िद करते थे

अब समझे, वक़्त-बेवक़्त बुलाया नहीं जाता…


तुझी में समाई तमाम, रौनक-ए-जहाँ ‘खुदा’

‘नूर’ को छोड़ ज़माने की, स्याह में जाया नहीं जाता..


बहकाता रहा ज़माना, होश में आए तब जाना

बहके हुए दीवानों को और बहकाया नहीं जाता…


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract