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Rowhaab Azmey

Romance

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Rowhaab Azmey

Romance

ख़याल

ख़याल

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काश मैं ख़याल होता,

तो तेरे ज़हन का हिस्सा होता।

काश मैं सवाल होता,

तो तेरे लबों से लिपटा होता।


तू शरमा के, घबरा के,

नज़रों से पूछती...

और इठलाती हुई,

मेरी बाहो में रूठती।


मुझसे कहती कि मुझे वो,

चाँद ला दो तो उस चाँद से,

इस चाँद को पाने की

गुज़ारिश करता।


काश मैं ख़याल होता,

तो तेरे ज़हन का हिस्सा होता।

काश मैं सवाल होता,

तो तेरे लबों से लिपटा होता।


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