ख्वाहिशों ठहरो
ख्वाहिशों ठहरो
ख्वाहिशों ठहरो जरा
हम किसी की आंख में ही रह रहे हैं
फिर उसी के साज पर ही बज रहे है
और इसी एहसास से दो शब्द लेकर
भोर की बहती हुई हवा में उड़ रहे हैं
ख्वाहिशों
देखो जरा
तुम नहीं तो जिंदगी का ये नया अंदाज है
तुम नहीं तो जिंदगी का ये नया आगाज है
मैं इसी की कल्पना का रूप बनकर
वक्त की सरगोशियों में घुल रहा हूँ
ख्वाहिशों
समझो जरा
तुम को भी तो रूप का, आवरण मिलने लगा है
तुमको भी भटकाव में रास्ता दिखने लगा है
मैं इसी हालात को एक रंग में रंगते हुये
भागता, गिरता, ठिठकता मौज में ही जी उठा हूँ।
ख्वाहिशों सोचो जरा।