ख्वाहिशों के बादल
ख्वाहिशों के बादल


ख्वाहिशों के बादल ऊंचे थे मगर,
बरसाना उनको, धरती पर ही था,
हर बून्द छोटी थी मगर,
बहना उनको नदियों में ही था,
ख्वाहिशों के बादल ऊंचे थे मगर,
बरसाना उनको, धरती पर ही था,
कभी धूप थी, कभी छाव थी,
फिर हवाओ की आवाज थी,
फिर दिन बदला, रात बदली,
ख्वाहिशों की आंधी फिर से चल दी,
ख्वाहिशों के बादल ऊंचे थे मगर,
बरसाना उनको, धरती पर ही था।