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Radhey Shyam

Abstract

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Radhey Shyam

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सदियों का बनवास

सदियों का बनवास

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आज दिए जलालो, फिर से दिवाली बनालो

राम के नाम की नगरी तुम फिर से बसालो

सदियों से मेने बनवास भोगा है

तुम्हारे पास तो सिर्फ, चौदह वर्षो का ही लेखा जोखा है


काव्य रचते हो तुम मेरे

करते हो तुम मेरा पाठ

आज राम नाम के बसे है घर घर में

नहीं रहा राम का वास


दिन बदले, साल बदले, सादियां बदल गईं

मेरे होने की, ना होने की, चर्चाएँ होती रहीं

मान लिया इसने मैं हूँ, वह केवट हो गया

जिसने ना माना मैं हूँचिन्ह युग , उसने मेरा अस्तित्व मिटा दिया


तोड़ दिए मेरे घरोंदे, मेरी नगरी से मेरा नाता तोडा

दबा दिए मेरे चिन्हो को, बना लिया अपना इलाका


अब युग बदला है, युद्ध बदला है

बदला युद्ध लड़ने के तरीके

मेरे युग में मैं लड़ा था

अब भक्तो लड़ना है तुमको मेरे लिये!


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