ख्वाहिश तुम्हे पाने की
ख्वाहिश तुम्हे पाने की
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ख्वाहिश थी तुमसे मिलने की
ज़िन्दगी के हर पल साथ गुजारने की
तुम पास होकर भी दूर थे
क्युकी हमारे दुश्मन करीब थे
हजार कोशिश की तुम्हे पाने की
मगर तुम्हारी आदत थी बेवफाई करने की
ऐसा भी क्या गुनाह किया था
मैंने सिर्फ तुमसे प्यार ही तो किया था।