ख्वाब मेरे
ख्वाब मेरे
मेरी शर्मीली झुकी हुई ऑखों ने,
देखे थे कुछ सुनहरे से ख्वाब
एक शहजादा रचाने आया मुझसे ब्याह
गले में पहनाया मुझे वरमाल
ऑख खुली ख्वाब टूट गया मेरा,
चारों ओर लगा था बडा बाज़ार
बिक रहा था मेरे ख्वाबों का कुमार,
बाबा की लाडो में थी उनको लाडली,
अपनी जमा पूंजी से खरीद लिया कुमार ,
मेरी ख्वाहिश सारी छन्न से बिखरी,
पत्थर दिल था वो मेरे ख्वाबों का शहजादा,
मेरी ख्वाबों को दगा दे गया वो राजकुमार। ।