ख़्वाब और कर्म
ख़्वाब और कर्म
जमीन आसमान से परे ख्वाबों की है एक खूबसूरत दुनिया,
जिसका कोई वज़ूद नहीं बस बंद पलकों का है ये फ़साना,
ख्वाबों की दुनिया का हकीकत से नहीं होता है कोई वास्ता,
पर ख़्वाबों से ही होकर गुजरता हमारी सफलता का रास्ता,
ख़्वाब कभी भी चमत्कार से हकीकत में तब्दील नहीं होते,
केवल ख़्वाबों में ही रहने से सफलता के फूल नहीं खिलते,
ख़्वाब भी बेजान हो जाते हैं हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने से,
तकदीर यूं ही नहीं बदल जाती है हमारी किसी के कहने से,
विश्वास से मेहनत के रंग भरने पड़ते हैं हाथ की लकीरों में,
कर्म से ही सफलता का रंग चढ़ता है ख़्वाब की तस्वीरों में,
जिन्हें तलब सफलता की वो ख़्वाब में भी आसमां ढूंढते हैं,
अपने कर्म पर करते हैं विश्वास और हौसला बुलंद रखते हैं,
हौसला है गर दिल में जीवन का हर ख्वाब सच हो जाएगा,
खुद पे यकीन हो तो मुश्किलों में भी रास्ता निकल आएगा,
जो पहचान कर अपनी मंजिल हिम्मत से आगे बढ़ जाते हैं,
वही तो ख़्वाबों को सच कर सफलता के परचम लहराते हैं।
