खुशियाँ ज़माने की
खुशियाँ ज़माने की


ज़रूरत थी मुझे जब किसी के हँसाने की,
वजह न बची थी जब मेरे पास मुसकुराने की,
ग़म के बादल मनो यूँ छ्ट गए,
भाई लाया था बहन के लिए ख़ुशियाँ ज़माने की।
अंधेरों में थी अकेली खड़ी मैं,
कोशिश न की किसी ने मुझे बुलाने की,
तूने हाथ पकड़ के अंधेरों से निकला मुझे,
भाई लाया था बहन के लिए ख़ुशियाँ ज़माने की।
राखी के बदले मेरी रक्षा करने की कसम जो खाई तूने,
कोशिश की तूने आजतक उस कसम को निभाने की,
मुसीबत न आने दी कभी मेरे ऊपर कोई,
भाई लाया था बहन के लिए खुशियाँ ज़माने की।
चाहे माँ की डॉट हो या बाप का प्यार,
दोनों रूप में कोशिश की तूने मुझे चाहने की,
न होने दिए कभी अकेला मुझे,
भाई लाया था बहन के लिए ख़ुशियाँ ज़माने की।