कंधों पर हिंदुस्तान
कंधों पर हिंदुस्तान
चेहरे पर वो अपने मुस्कान लिए फिरता है,
पर दिल में दर्द वो अपने तमाम लिए फिरता है,
सच्ची मोहब्बत की मिसाल तो वो वतन का रखवाला है ,
जो कंधों पर अपने सारा हिंदुस्तान लिए फिरता है।
घर से दूर कहीं सरहद पर देश की सुरक्षा के खातिर,
हथेली पर वो अपने जान लिए फिरता है।
बंद करता है वो आँखें तो देखता है बूढ़े माँ बाप को,
और खुली आँखों में वो अमन वाले वतन का अरमान लिए फिरता है।
उसकी कोई जात और धर्म नहीं वो सिर्फ एक सैनिक है,
दुश्मनों की मौत का जो फरमान लिए फिरता है।
देश की हर सरहद पर तैनात है जवान,
कोई ज़मीन,कोई समुद्र तो कोई पूरा आसमान लिए फिरता है।
दुश्मनो को धूल चटा कर बढ़ा के देश की शान,
देश का हर फौजी तिरंगे का सम्मान लिए फिरता है।
जहाँ लोग आपस में मंदिर और मस्जिद पर लड़ते हैं,
उस देश का फौजी मोहब्बत का पैगाम लिए फिरता है।