खतों का वो जमाना
खतों का वो जमाना
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वो दौर काग़ज़ी था,
देर तक ख़तों में
जज़्बात महफ़ूज़ रहते थे।
ये मशीनी दौर है,
ऊँगली से मिटा दी जाती हैं
उम्र भर की यादें।
कुछ स्टार बना कर
सहेज लेते हैं हैं
कुछ हुआ तो उसे भी
फॉर्मेट कर देते हैं।
ये वो दौर है जनाब,
फासले रखा करो
यहाँ अपने भी कहाँ अपने हैं।
यहाँ दिल से नहीं,
दूर से मिला करो
खतो-किताबत का दौर गया
अब बस व्हाटसअप किया करो।