Birendra Lodhi
Classics
कहीं खो सा गया हूँ
ख्वाबों में डूब सा गया हूँ
न सुनता हूँ दिल की
न समझाइस देता हूँ
कुछ ख्याब है मेरे।
जो उन ख्वाबों को
मुकम्मल करने में लगा हूँ,
कुछ बातें है जो अटपटी सी
लगने लगी है।
कुछ लोग अटपटे से
लगने लगे हैं।
कितनी रागिनिय...
कहीं खो सा गय...
चला जाऊँगा ते...
राह
हाथ जोड़ कर करूँ नमन, ए नारी कितनी महान है तू। हाथ जोड़ कर करूँ नमन, ए नारी कितनी महान है तू।
क्या गदा कौमोदकी कर में सुशोभित ही रहेगी? या किसी व्यभिचार के विपरीतता में भी उठेगी? अब तुम्हारा र... क्या गदा कौमोदकी कर में सुशोभित ही रहेगी? या किसी व्यभिचार के विपरीतता में भी उ...
मां मैं तेरी गीत गाऊं। मां मैं गाथा तेरी जगत सुनाऊं।। मां मैं तेरी गीत गाऊं। मां मैं गाथा तेरी जगत सुनाऊं।।
गुलमोहर तू यह तो बता सिन्दूरी बन क्यों बसते हो। गुलमोहर तू यह तो बता सिन्दूरी बन क्यों बसते हो।
तब ज़माना बदलेगा तब आधुनिक कहलाएंगे। तब ज़माना बदलेगा तब आधुनिक कहलाएंगे।
बनो जागरूक देश के वासी अपने देश की रक्षा करो। बनो जागरूक देश के वासी अपने देश की रक्षा करो।
हार गए हो चीन से, सन बासठ का युद्ध त्याग सिंहासन नेहरू, बन सन्यासी बुद्ध हार गए हो चीन से, सन बासठ का युद्ध त्याग सिंहासन नेहरू, बन सन्यासी बुद्ध
तू करने क्या आया था, कर क्या बैठा तू ! तू करने क्या आया था, कर क्या बैठा तू !
क्यों श्रावण इतना फीका है ये कैसी पीड़ा की ऋतु है क्यों श्रावण इतना फीका है ये कैसी पीड़ा की ऋतु है
सम्राट सुरों का रफ़ी, अजब-ग़जब फ़नकार रब का आशीर्वाद है, रब का है उपहार सम्राट सुरों का रफ़ी, अजब-ग़जब फ़नकार रब का आशीर्वाद है, रब का है उपहार
देख कर गंदी सियासत आज-कल अब मुसाफ़िर बेकली होने लगी। देख कर गंदी सियासत आज-कल अब मुसाफ़िर बेकली होने लगी।
शतदल पर मां सदा विराजे। वीणा, पुस्तक कर में साजे। धवल वर्ण तन श्वेत वसन है- स्फटिकमालिका ग्रीवा छ... शतदल पर मां सदा विराजे। वीणा, पुस्तक कर में साजे। धवल वर्ण तन श्वेत वसन है- स...
जग जननी जग कल्याणी मातारानी जग जननी जग कल्याणी मातारानी
शुद्धात्मा को जानकर तजी सम्पदा षट्खण्ड की, तृणसम निरर्थक मानकर। शुद्धात्मा को जानकर तजी सम्पदा षट्खण्ड की, तृणसम निरर्थक मानकर।
आज प्यार की वो बात कर ही दो, अपने इश्क का इजहार कर ही दो। आज प्यार की वो बात कर ही दो, अपने इश्क का इजहार कर ही दो।
तुम्हें कौन -सा रंग लगाऊँ तुम्हें कौन -सा रंग लगाऊँ
प्यारा सजा दरबार मां तेरे भवन में आऊं देखूं मूरत में तेरी चरणों में शीश झुकाऊं। प्यारा सजा दरबार मां तेरे भवन में आऊं देखूं मूरत में तेरी चरणों में शीश झुका...
" नवाचार हो, निर्विकार हो करतल ध्वनि से उद्बोधन नव्य ऋतु का अभिनंदन नव्य ऋतु का अभिनंदन " " नवाचार हो, निर्विकार हो करतल ध्वनि से उद्बोधन नव्य ऋतु का अभिनंदन नव्य ऋतु ...
इनका तुम सम्मान करो, हाथ जोड़कर इन्हें प्रणाम करो। इनका तुम सम्मान करो, हाथ जोड़कर इन्हें प्रणाम करो।
तूने क्या कह दिया, वो रूठ गया, "उड़ता" जा उससे मांग माफ़ी लें। तूने क्या कह दिया, वो रूठ गया, "उड़ता" जा उससे मांग माफ़ी लें।