कितनी रागिनियां है बाजारों में
कितनी रागिनियां है बाजारों में
कितनी रागिनियां है बाजारों में,
जहां उमड़ती है भीड़ बाजारों में
घर से लेकर बाजारों तक
सज गए हैं अंबर से लेकर चौराहों तक,
चेहरे में मुस्कान नन्हें से हाथों में
फुलझड़ी की कमान
यहीं तो हैं मेरा भारत महान।
