Birendra Lodhi
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चला जाऊँगा तेरे शहर से एक दिन मैं
तुम मिल के भी न मिल सकोगे,
जानता हूं तुम खुश हो आज भी
और कल भी खुश रहोगे,
पर अफ़सोस तो उस बात का है महज,
जब भी हम तुम्हें याद आएँगे
बस तुम्हारी पलकों से अक्स बनकर
बह जाएँगे ।।
कितनी रागिनिय...
कहीं खो सा गय...
चला जाऊँगा ते...
राह