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Arunima Govil Paul

Drama

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Arunima Govil Paul

Drama

ख़्वाब की तामीर

ख़्वाब की तामीर

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एक ख़्वाब सा देखा था,

कभी ख़्वाब में कहीं !

अटका हुआ सा है जो,

मेरे ज़हन में आज भी कहीं !


इस उलझी हुई उलझन को,

ऐ ख़ुदा तू सुलझा दे !

मेरे उस ख़्वाब की,

बस एक बार तामीर करा दे !


मुझे मेरे इश्क़ से,

बस एक बार मिला दे !

बस एक बार खो के उसमे,

बिख़र जानें की चाहत है !


एक बार उसको छू के,

महसूस करने की चाहत है !

बस एक बार मेरी साँसों को,

उसकी साँसों से उलझा दे !


फिर बेशक़ मुझे अपने,

पास बुला ले !

मेरे उस ख़्वाब की,

बस एक बार तामीर करा दे...!


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