रिवायत
रिवायत
रिवायत है ये इश्क़ की
कि सताता बहुत है।
हो जाये जो एक बार
तो रूलाता बहुत है।
माना के नेमत है ये
इश्क़ ख़ुदा की।
लेकिन ये कमबख्त
तड़पाता बहुत है।
तोहफ़ा तो माना के है
ये बड़ा ही बेशक़ीमती।
पर ये अपनी क़ीमत
लगाता बहुत है।
सताता बहुत है, रूलाता
बहुत है और तड़पाता
बहुत है।
