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Chanderkant Chanderkant

Tragedy

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Chanderkant Chanderkant

Tragedy

ख़ौफ़-ज़दा इंसान

ख़ौफ़-ज़दा इंसान

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कलम उठाता हूँ तो डर लगता है

कि अपने घर में ही ख़ौफ़-ज़दा हूँ मैं।

मस्जिद की बात करूँ तो डर लगता है,

जनेऊ धारण करूँ तो डर लगता है,

कि अपने घर में ही ख़ौफ़-ज़दा हूँ मैं।


मंदिर जो ना जा सका मैं, तो मुझे डराया,

पांच वक़्त नमाज ना हुई तो काफ़िर कहलाया

क्यूँ शर्तों से इंसान को जोड़ा गया,

आखिर इंसानियत को ही तो तोड़ा गया

कि अपने घर में ही ख़ौफ़-ज़दा हूँ मैं।


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