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Samarth Raval

Abstract Romance

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Samarth Raval

Abstract Romance

कहाँ तुम चले गए

कहाँ तुम चले गए

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जब से देखा था तुम्हें, एक ऐसा माहौल छाया था

बस तुम्हारा वो चेहरा, इन आंखों में समाया था।


एक झलक पाने को तेरी, हर रात वहां में आया था

क्या रिश्ता था तुम से, की इस दिल पर तेरा साया था।


ना जान ना ही पहेचान, ना पता ठिकाना पाया था

था कुछ इस वक्त का समझा, जो फिर से हमें मिलाया था।


सोचा कि बताऊं तुम्हे, जो ये ख्याल मन में आया था

बस यही मुलाकात ने हमें, खुशी का ठिकाना दिलाया था।


कसूर रहा होगा मेरा या तेरा, या नसीब एसा पाया था

की रुबरु करने वाला, वो वक्त ही जुदाई लाया था।


फिर भी है बेताब ये मन, जानने को आख़री जवाब

कहां तुम चले गए, कहाँ तुम चले गए।


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