ए लेटर टू मॉम
ए लेटर टू मॉम
डिअर सुपर मॉम
बचपन में पसंदीदा खिलौना टूटने पर बारी-बारी हर एक दुकान पर जाकर वैसा ही खिलौना ढूंढ के लाना ताकि उसे खेलने से जो मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आती थी वह कभी दूर ना हो।
मेरे कुछ सोचने पर वही बात के लिए तेरा कॉल आना, हरबार ये कोई संयोग नहीं। पता नहीं कैसे तुझे बिना कहे हर बात का पता चल जाती है।
कभी कभी लगता है बेटा होने की खुशी से ज्यादा तुझे सिर्फ उलझन और थकान ही मिली है।
क्यों मेरी उदासी तुझे मुझसे ज्यादा खलती है, मेरे ना खाने पर तु भी भूखी रहती है। कभी-कभी लगता है बताऊं तुझे कि मत कर इतना मेरे लिए मैं ये कर्ज कभी नहीं चुका पाऊंगा ।
पर हां, बहुत प्यार करता हूं मैं तुझसे बहुत-बहुत इतना सारा कि पापा से भी ज्यादा और मैं तेरे लिए कुछ भी कर सकता हूं।
पर मां मेरा सच में एक सवाल है
"क्या वो सिर्फ एक दिन के मेरे रोने पर तेरी हंसी ने तुझे इतना कर्जदार बना दिया कि आज भी बिना मेरी सूरत देखें तेरे मुंह में एक निवाला तक नहीं जाता ??"