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Amrita Rai

Abstract

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Amrita Rai

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खामोशियां

खामोशियां

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बिना कुछ कहे बहुत कुछ कह जाती हैं खामोशियां

कभी इनको सुनने की कोशिश तो कर

खुशी बयां करती हैं या दर्द छिपाती है खामोशियां

कभी इनको समझने की कोशिश तो कर

जिस दिन तु पढ़ने लगेगा मेरी खामोशियां

उस दिन से मेरी जिंदगी के हर पन्ने को

मेरे बिन कहे समझ जाएगा

जो सच है वो कह मेरी बातों पर झूठ

यूं बेवजह मुस्कुराने की कोशिश ना कर।।



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