कभी ये और कभी वो
कभी ये और कभी वो
कभी ये दावा
कि वो मेरा है फकत मेरा है...
कभी ये डर
की वो मूझसे जुदा तो नहीं...?
कभी ये दुआ
की उसे मिल जाए सारे जहां की खुशियां...
कभी ये खौफ
की ख़ुश वो मेरे बिना तो नहीं...?
कभी ये तमन्ना
की बस जाऊं उसकी निगाहों में...
कभी ये डर
की उसकी आंखों को किसी ने देखा तो नहीं...?
कभी ये ख्वाहिश
के ज़माना हो मुन्तजिर उसका...
कभी ये वहम
के वो किसी से मिला तो नहीं...?
कभी ये आरज़ू
वो जो मांगे मिल जाए उसे...
कभी ये वसवसए
के उसने मेरे सिवा कुछ और मांगा तो नहीं...?