कभी कभी भगवान भी भूल जाता होगा
कभी कभी भगवान भी भूल जाता होगा
कभी कभी हमारी तरह भगवान भी
हमें भूल जाता होगा
कोई न कोई उसके भी नज़र से
जरूर छूट जाता होगा
तभी तो कहीं पर कोई न चाहते हुए भी जरूरत से ज्यादा खा रहा होता है
तो कही पर कोई चाहते हुए भी कुछ खा नहीं पाता
कही पर कोई दिन भर पसीना बहा कर भी
एक सिक्का जोड़ नहीं पाता
तो कही पर कोई कुछ ना कर के भी
नोटों का ढेर घर ले जाता
कोई सदियों से दिन रात दौड़ रहा है
बस एक ख्वाब को जीने के लिए
तो कोई दो कदम रेंग कर हर ख्वाब जी लेता है
कही पर कोई दिन रात एक कर के भी हार की शक्ल देखता है
तो कही पर कोई दिन भर सो कर भी कामयाबी चूम लेता है
इसलिए कभी कभी कोई जी कर भी जी नहीं पाता है
कभी कभी हमारी तरह भगवन भी हमें भूल जाता है।