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कब तक आखिर गम

कब तक आखिर गम

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मेहनत इतनी शिद्दत से वो कर रहा

सच्चाई की राह पर वो चल रहा

मेहनत उसकी एक रोज रंग लाएगी

जीत उसके कदम चूमेगी यकीन उसको खुद पर है।


हर अंधेरी रात की एक उज्जवल सुबह होती है

गमो के बदल छंट जाते हैं खुशियों का सवेरा होता है

कब तक आखिर गम दामन थामे रहेंगे

एक रोज तो गम दूर भाग जाएंगे।


यकीन है ऐ दिल उसको हौसले उसके बुलंद है

अभी तो सफर लड़ाई का शुरु हुआ है

जंग लड़नी अभी ज़माने से बाकी है

हर बाज़ी को जीत में बदलना है हार को हराना है।


अभिमानी नहीं स्वाभिमानी है वो

किसी के सामने नहीं वो झुकता

अपनी राह वो खुद है बना रहा

ज़माना उसके पीछे पीछे है चल रहा।


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