कौन कहता है
कौन कहता है
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कौन कहता है स्त्री अबला है ?
वह तो धरा का दूसरा रूप है।
जिसकी कोख से जन्म लेता है इंसान
पृथ्वी तो हर निर्माण का स्थान
क्या आपको इससे कोई एतराज है ?
जलधारा के सिंचन से धरती का रूप निखरे
स्नेह प्रेम से नारी माँ का रूप धरे
माता के त्याग को
क्या किसी ने नहीं जाना है ?
छिन-छिनकर पृथ्वी का किया विध्वंस
दबा-दबाकर नारी का किया नाश
क्या किसी ने भविष्य का सोचा है ?
कथा पुराणों ने कहा "यत्रनार्यस्तु...
नारी की हो रही जूतों से पूजा
क्या कभी किसी ने किया विमर्श है ?
जब भी पृथ्वी पर अत्याचार हुए
उसके अंगारों से युग जले
क्या सोचा कलयुग कैसै
खत्म होने वाला है ?
माता, बहना, पत्नी, कन्या जैसे
नारी के अलग-अलग रूप ऐसे
करो सम्मान उनका
विनती यह आपसे है।