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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Romance Fantasy

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Romance Fantasy

कौन है वो

कौन है वो

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कौन है वो जिसकी चाहत में 

दिल हरदम बेकरार रहता है 

कौन है वो जिसके लिये मन 

हर घड़ी इंतजार करता है 

आंखें बस उसे ही देखना चाहें 

उसके लिये बेचैन रहती हैं बांहें 

कान उसकी बोली के मुरीद हैं 

जब वो दिखें, उसी दिन ईद है 

चौबीसों घंटे उन्हीं का ध्यान है 

कातिल बड़ी उनकी मुस्कान है 

वो जहां से गुजरे बहार आ जाए 

हर कली पर निखार आ जाए 

सर्दी की गुनगुनाती धूप है वो 

पद्मिनी सी सुंदर रंभा सरूप है वो 

उसका सरूर फिजाओं में हलका हलका है

और कोई नहीं, वो मेरे ख्वाबों की मलका है 



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