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R Rajat Verma

Abstract

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R Rajat Verma

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कैसे आँख दिखावत है

कैसे आँख दिखावत है

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हाथ जोड़ सामने सबके,

तुम्हें मान दिलावत है,

जौ तुम गए सामने से,

पीछे से खिस्यावत है,

दूसरों की वाणी सुन - सुन के,

अपने शबद बनाबत है,

देख बड़ा न देख छोटा,

कैसे आंख दिखावत है।


खुद में होत खुश,

मन ही मन मुस्कावत है,

ह्रदय में धरे तीर वो,

मक्खन से चलावत है,

झड़त फूल मुख से वाके,

कांटे बहुत चुभाबत है,

देख बड़ा न देख छोटा,

कैसे आंख दिखावत है।


बुद्ध जीव खुद को समझत,

गैरन को बुद्धू बतावत है,

मूंद आंख अपनी सब जग से,

मंद - मंद मुस्कावत है,

बहत नदी में धोत हाथ,

आग में घी बढ़ावत है,

देख बड़ा न देख छोटा,

कैसे आंख दिखावत है।



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