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Shailaja Bhattad

Abstract

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Shailaja Bhattad

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कारवां

कारवां

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दुनिया घूम रहे बशर

तसव्वुर की तस्वीर बना रहे बशर

खुशियां ढूंढने निकले थे जो ये बशर

खुशियां पाने लौट आए हैं अपने शहर ।


हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई का कारवां चलता रहा

और मैं था कि इंसानों को ही खोजता रहा ।


मेरा बचपन आज लौट आया है

मेरे मित्रों ने जो मुझे पास बुलाया है।



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