कारवां
कारवां
जिन्दगी का कारवां
न जाने बने किस तरह
ढूंढने पर मिले मंज़िल
ना जाने किस तरह
दुनिया में जीना चाहेंगे
हम अपनी तरह
अपनी की खैर पूछेंगे
हम खैरियत की तरह
किसी से मिलना चाहेंगे हम
अपने मतलब की तरह
जिन्दगी का कारवां
न जाने बने किस तरह
किसी के काम हम आएंगे
अपनी फितरत की तरह
परितोष की कलम
लिखेगी शब्द
परितोष को मिले
संतोष की तरह