रौनक
रौनक
चौराहे गालियां सुनसान पड़ी
बाग बगीचे की रौनक हैरान बड़ी
कल तक जो गुलजार थे
आज वो ही खुद परेशान बढ़े
स्कूल के बच्चे दिखते नहीं
बैग उठाए मिलते नहीं
बाजारों में बड़ी बड़ी दुकान है
बंद पड़ी वीरान लगे
सुबह की हलचल कंपनी बाग की
शाम की खुशहाली बाजार की
मंदिर में कीर्तन और पाठ की
मस्जिद में मिल के नमाज की
संतोष लिए परितोष कहे
कब गर्म हवाएं ठंडी पड़े
परितोष की कलम इंतज़ार करे
सही वक्त आए तो नए शब्द लिखें।