काम ही पूजा है
काम ही पूजा है
मेहनत का फल हमेशा
मीठा होता है
सूरज के उगने के साथ ही
सुबह से लग जाओ काम पे
इस आज का कल हमेशा
एक रोशनी से भरा
सुनहरी सवेरे के सपने सा
सच होता है
काम ही पूजा है
इस ध्येय को पाने के लिए ही
आजीवन कमर कसकर
कठिन परिश्रम करना चाहिए
मंदिर की तरफ न
बढ़ाओ एक बार बेशक
अपने कदम पर
प्रभु का मन ही मन
स्मरण करके
अपने लक्ष्य की तरफ तो
दिन प्रतिदिन बढ़ना ही चाहिए
अकेला है आसमान
अकेली है जमीन
अकेला है वृक्ष
अकेली यह सड़क अंजानी
इस संसार में
हर कोई अकेला है
हे मानव
तू हिम्मत न हार
खुद को प्रेरित कर
उठ
मन में जो करना है
उसे ठान ले और
काम करने के लिए
जीवन में कुछ करने के लिए
आगे बढ़
बूंद बूंद से घड़ा भरेगा
थोड़ा थोड़ा कर हर रोज
प्रयास
कभी तो यह रस्ता मंजिल को
पा ही लेगा
कब यह भोर सांझ में
बदल जायेगी
कब यह सांझ सुबह में
बदल जायेगी
कब तेरी बंजर भूमि
हरियाली की चादर से
पट जायेगी
तुझे पता ही नहीं पड़ेगा
कब आसमान पर
एक बादलों का घर बन
जायेगा
कब प्रभु का आशीष
आसमान से उतरकर
बाहें फैलाये
एक दिन
बादलों की,
रोशनी की,
तेरी उम्मीदों को पूर्ण करती
सौगातों की बारात लेकर
जमीन पर
तेरे कदमों में शीश
नवाने चला आयेगा
तुझे पता ही नहीं चलेगा।