काली सुर्ख रातों में
काली सुर्ख रातों में
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काली सुर्ख रातों में मेहताब मिल गया
उनसे मिले तो लगा परवरदिगार मिल गया
कोई तो वजह दो उनसे इश्क ना करने की
खुदा ने छिपाया सबसे वो फरिश्ता हु-ब-हु मिल गया
नजाकत झलकती है उसके चलने बोलने हर अदा से
वो हकीकत थी या किसी शायर का नज्म मिल गया
बड़ी थकावट थी बदन में हयात से
उसे देखा तो, आयात का सुकून मिल गया