STORYMIRROR

Vipin Bansal

Romance

5.0  

Vipin Bansal

Romance

काली सुर्ख रातों में

काली सुर्ख रातों में

1 min
225


काली सुर्ख रातों में मेहताब मिल गया

उनसे मिले तो लगा परवरदिगार मिल गया


कोई तो वजह दो उनसे इश्क ना करने की

खुदा ने छिपाया सबसे वो फरिश्ता हु-ब-हु मिल गया


नजाकत झलकती है उसके चलने बोलने हर अदा से

वो हकीकत थी या किसी शायर का नज्म मिल गया


बड़ी थकावट थी बदन में हयात से

उसे देखा तो, आयात का सुकून मिल गया


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance