झूठ
झूठ
उसकी कसमें झूठी हैं, उसके वादे झूठे है
हुई मुलाकात झूठी थी, अब ये फासले झूठे हैं
जो याद थी वो यादें झूठी थी
जो बात हुई वो बातें झूठी थी
रात भर रोई सिसक सिसक कर
सुबह हुई तो पता चला, वो आंखें झूठी थी
झूठी उसकी परवाह थी, झूठा वो परवाज़ था
झूठा मैं अंत था उसका, झूठा वो आगाज़ था
उसका नूर खिंचता था मुझे, पर उसका चेहरा झूठा था
उसकी बातें भले सच्ची लग जाये, पर उसका लहजा झूठा था
झूठी उसकी अदा, झूठी उसकी शरारत थी
झूठ था उसका छूना, झूठी वो नजाकत थी
झूठा ही तू पास था
झूठा ही अहसास था
सुलगते दिल में उठता धुआँ झूठा थी
वो कुरबत में उठती दुआ झूठी थी
झूठा मैं था, झूठा तू था
झूठा तेरा वो सुकून था
झूठा तेरा सुरूर था
झूठा मेरा गुरूर था
झूठे सब जज्बात थे
झूठे ये हालात थे
झूठ से बने मेरी दुनिया थी
रेत के महल सी
झूठा ही शोर था वहां
झूठी ही चहल थी
एक आंधी आई वहां, काश वो भी झूठी होती
ना मैं टूटता, ना मेरी उम्मीदें झूठी होती
