काल बन जाओ
काल बन जाओ
जब छुपकर शत्रु ने सीमा पर घात लगाया,
२० वीरों का शव तिरंगे में लिपट के आया!
माँओं को जब पता चला बेटा हुआ शहीद,
अब उसका इंतज़ार करना न रहा मुफ़ीद!
बीवी की आँखें भीग गयीं हैं, वो हुई गुमसुम,
बच्चों को भी आया रोना, आँखें हो गयीं नम!
जो जगह हुई है खाली वो कभी न भर पाएगी,
हर त्यौहार सूने लगेंगे क्या दिवाली, क्या ईद!
कायरता की सीमा लाँघी, दण्ड-विधान हुआ,
देख अंत तय है, गांडीव पे बाण संधान हुआ!
ये सेना है वीरों की, सबक तुझे सिखलाएगी,
रिपुदल के शवों का भोज करेंगे शृगाल-गिद्ध!
अब सेना को आदेश दो, अब उन्हें मत रोको,
हाथ खोल दो सेना के, अब उनको मत टोको!
सेना में क्रोध बहुत है, बनने दो उन्हें संहारक,
अब आया है वक़्त दुश्मन हो ईश्वर को मुरीद!
