कागज़ का जहाज
कागज़ का जहाज
कागज के जहाज अंबर में उड़ रहें हैं ऐसे,
मेरे दिल के अरमान तड़प रहें हों जैसे ।
सोचा था जिन्दगी को बेहतर बनाऊंगा,
पर यह तो बत से बदतर बन गई हो जैसे ।
खुशियों से मिले एक अरसा सा हो गया,
कहीं घर का रास्ता तो भूल न गईंं हों जैसे।
इन कागज के जहाजों से संदेशा भेजा है,
ऐ खुदा कुछ करिश्मा कर मुझ पर भी ऐसा।
कागज के जहाज सा हल्का-सस्ता हो जाऊँ,
मैं भी तो अरमान सा उड़ जाऊँगा जैसे ।।