जय दुर्गे मां
जय दुर्गे मां
करबद्ध अर्चना करें ।
आद्योपांत वरद हस्त रहे ।
नवप्रकाश से अंतर्मन भरे।
हो विस्तार खुशियों भरे।
सृष्टि का आधार है मां।
सुख सौभाग्य दात्री मां ।
यत्र तत्र सर्वत्र ,
साक्षात जय दुर्गे मां ।
छिन्न-भिन्न कर,
करती दैत्यों का संहार मां ।
शक्ति स्वरूपा,
हम तेरे प्रतिबिम्ब माँ ।
मां तेरे ही प्रतिबिंब सब ।
मिला मनोबल,
बनी आस्था तुझमें जब।
ढाल, तलवार तो,
मां के खिलौने हैं।
मां के मनोबल के आगे ,
दैत्य सभी बौने हैं ।
पग- पग पर माँ ने दीप जलाए।
चाहे हो बादल कितने ही छाए।