जय बोलो
जय बोलो


सपनों का इक घर होगा अपना
केसर की घाटी में,
प्यार के दो फूल खिलेंगे खून से
सींचे, माटी में।
फहरायेगा बड़े शान से अब तीन
रंग, का झंडा-
जय बोलो! शूल उठेगा पत्थर
बाजों की, छाती में।
सपनों का इक घर होगा अपना
केसर की घाटी में,
प्यार के दो फूल खिलेंगे खून से
सींचे, माटी में।
फहरायेगा बड़े शान से अब तीन
रंग, का झंडा-
जय बोलो! शूल उठेगा पत्थर
बाजों की, छाती में।