जवानी को मेरा प्रणाम
जवानी को मेरा प्रणाम
यही जवानी मिट्टी को लाल कर सकती हैं
यही जवानी कहानी की मिसाल बनती है।
यही जवानी सीमा पार जाती है
यही जवानी फांसी पर हंसते-हंसते झूल जाती है।
यही जवानी खुद को गोली मार अंग्रेज के हाथ नहीं आती है
यही जवानी जो मर्द की छाती कहलाती है।
यही जवानी जो कुरुक्षेत्र को रचती है
यही जवानी जो सीना चीर लहू पीती है।
यही जवानी जो गुलामी में नहीं जीती है
यही जवानी पित्र ऋण को उतार सकती है।
यही जवानी रण में हुंकार भर सकती हैं
यही जवानी सीमा पार जाकर शीश उतार सकती है।
यही जवानी मिट्टी को लाल कर सकती है।
यही जवानी एक दिन इतिहास लिखेगी
यही जवानी देश के गीत लिखेगी।
इसी जवानी का मैं मान करता हूं
इसी जवानी को मैं आज प्रणाम करता हूं।