जूनून.....
जूनून.....
कहने के लिए यूँ तो सब कहते है
देखो ये तो पगलागया है,
लगता है शर पे भुत सवार होगया है
सब कुछ भूल गया है।
उनको क्या पता जिन्हे कुछ मालूम भी नहीं
बोलने के लिए बोलते है,
जो खुद मर मर के ही जीते है
जूनून क्या फिर होता है।
वो जिसे लोग कभी पागल का नाम देते
वो तो एक पण है,
कुछ पाने की खातिर दिलो दिमाक मे सिर्फ
कामियाबी का जूनून होता है।
पहले तो एक सुन्दर सपना वो देखा करते
उसे बहुत प्यार करते है,
उस सपने की खातिर कुछ भी कर जाते
वो जूनून इम्तेहान लेता है।
कामियाबी जब हासिल होता कड़ी मसक्कतों के बाद
उसमे बड़ा सुकून मिलता है,
वो सपनो के प्यार की मिठास तो है
जिसे हम जूनून कहते है।
ए जूनून और प्यार के रंग अनोखा है
खून जैसा लाल होता है,
जब एक बार इस मे कोई रंग जाए
फिर वो उतरता नहीं है।
