जुल्म का प्रतिकार
जुल्म का प्रतिकार
जुल्म का सदा तुम प्रतिकार करो
तिनके को चाहे तुम तलवार करो
असत्य आज आसमाँ सा फैला है
तुम बिजली बनकर ललकार करो
जुल्म का सदा तुम प्रतिकार करो
आज लोग कीचड़ को शुद्ध समझते है
कमल बनकर तुम कीचड़ को पार करो
हर जगह आज असत्य का बोलबाला है
सत्य बोलनेवाले का आज मुंह काला है
तुम बनकर आज हिमालय सा चट्टान
असत्य का मद आज चकनाचूर करो
जुल्म का तुम सदा प्रतिकार करो
तिनके को चाहे तुम तलवार करो।
