जुदाई
जुदाई
क्या दर्द है मेरे सीने में किसी को बता भी नहीं सकता,
इन आँसुओं को आँखों तक ला भी नहीं सकता,
तू छोड़ रही है साथ मेरा तो इसमें खता तेरी क्या है,
हर शख्स साथ मेरा निभा भी नहीं सकता,
इतनी गहरी है उनकी यादें मेरे दिल में,
मैं उनको चाह कर भी भूला नहीं सकता,
प्यासे ही रह गए मेरे दिल के सवालात,
किसके लिए जिंदा हूं बता भी नहीं सकता,
यकीं है कि वो आएगी एक दिन लौटकर,
बस यही सोचकर मैं चिरागों को बुझा भी नहीं सकता।।