जरुरी तो नहीं
जरुरी तो नहीं
एहसासों से बनतीं हैं दिलों की राहें
पर मेरे जज्बात कोई एहसास
जगा पाते जरूरी तो नहीं
जरूरी तो नहीं कि इस दिल को
चीर भी देते तो फिर समझ जाते
वो कुछ जरूरी तो नहीं।
जहॉं रेबड़ियों की तरह
बंटती है जिंदगानी
काश एक मुट्ठी हमें भी मिल पाती
पर जरूरी तो नहीं
जरूरी तो नहीं कि मिल जाती मोहलत
बस एक नजर से नजर की
पर जरूरी तो नहीं।
इस दिल को नहीं गंवारा
दरमिया कोई दूरी
पर इसका अंदाज भा जाता
हर किसी को जरूरी तो नहीं
जरूरी तो नहीं कि बढ़ जाता
कोई थामने को दामन दो कदम ही सही
पर जरूरी तो नहीं।
चाहत के दौर की किस्मत
तो न थी अपनी
पर नफरत से भी न
देखे कोई जरुरी तो नहीं
जरुरी तो नहीं कि संवार लेता कोई
हमारी बेतरतीब सी तमन्नाओं को
पर जरूरी तो नहीं।
कहते हैं कि छोटा सा है ये जहॉं
पर मुट्ठी में कर पाता
इसे भी जरूरी तो नहीं
जरूरी तो नहीं कि आसमां न सही
जमीं ही सही कोई तो पुकार लेता
पर जरूरी तो नहीं।