जो मैं होता
जो मैं होता
जो मैं होता गीत कोई तो तुम भी मुझको गा लेते
जो मैं होता खामोश परिंदा तो अपना मुझे बना लेते
जो मैं होता फूल कोई तो गजरा मुझे बना लेते
जो मैं होता इत्र कोई तो तन पर मुझे लगा लेते
जो मैं होता काजल तो तुम टीका मेरा कर लेते
जो मैं होता रंग कोई तो होंठो पर मुझे धर लेते
जो मैं होता मेहँदी तो बस तेरे हीं हांथों पर सजाता
जो मैं होता चूड़ी कंगन तो तुझे चैन ना मेरे बिन होता
जो मैं होता वस्त्र कोई तो तेरे तन की शोभा होता
जो मैं होता चित्र कोई तो तेरी हीं मैं आभा होता
जो मैं होता तेरा तकिया तो मुझे भींच के बाहों में सोता
जो मैं होता प्रार्थना कोई तो बस तेरे मन में ही बसता
जो मैं होता मंत्र कोई तुम मुझको रख लेते अपने अधरों पर
जो मैं होता प्रतिबिंब कोई तो तुम मुझको रखते अपने खुटें पर
जो मैं होता माह कोई तो बस सावन बनकर आता
बनकर काली घटा मैं तेरी घनी जुल्फों में खो जाता।